फ़िज़ूल ग़ज़ल 1
फ़िज़ूल ग़ज़ल
**********
बच्चे घरों के' जब बड़े जवान हो गए
तब से बुजुर्ग अपने बेजुबान हो गए
कुदरत को छेड़ कर हमें यूँ क्या मिले भला
खुद ही तबाह होने का सामान हो गए
देखो सियासतों का रंग क्या गज़ब हुआ
जितने भी' थे' शैतान, वो शुल्तान हो गए
यूँ तो किसी भी हुक़्मराँ पे है यकीं नहीं
अच्छे दिनों की बात पे क़ुर्बान हो गए
कहते थे' दिखावा जिन्हें मेरी गली के लोग
मेरे उसूल ही मेरी पहचान बन गए
कुछ भी नहीं कहा है मगर देख भर लिया
खुद ही की' नज़र में वो पशेमान हो गए
जब से तुम्हारा साथ मुझे मिल गया सनम
ज़िन्दगी के रास्ते आसान हो गए।
डॉ0 राजीव जोशी
बागेश्वर
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बच्चे घरों के' जब बड़े जवान हो गए
तब से बुजुर्ग अपने बेजुबान हो गए
कुदरत को छेड़ कर हमें यूँ क्या मिले भला
खुद ही तबाह होने का सामान हो गए
देखो सियासतों का रंग क्या गज़ब हुआ
जितने भी' थे' शैतान, वो शुल्तान हो गए
यूँ तो किसी भी हुक़्मराँ पे है यकीं नहीं
अच्छे दिनों की बात पे क़ुर्बान हो गए
कहते थे' दिखावा जिन्हें मेरी गली के लोग
मेरे उसूल ही मेरी पहचान बन गए
कुछ भी नहीं कहा है मगर देख भर लिया
खुद ही की' नज़र में वो पशेमान हो गए
जब से तुम्हारा साथ मुझे मिल गया सनम
ज़िन्दगी के रास्ते आसान हो गए।
डॉ0 राजीव जोशी
बागेश्वर
ब्लॉग जगत में स्वागत है राजीव। सुन्दर ग़जल। निरन्तरता बनाये रखना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दिशानिर्देशन करते रहिएगा
Deleteआभार सर
Deleteमार्गनिर्देशन करते रहिएगा
सु स्वागतम
ReplyDeleteडॉ.राजीव जी
बेहतरीन ग़ज़ल
सादर
पुनः..
ReplyDeleteगूगल फॉलाव्हर का गैजेट लगाइए
सादर
क्या करना होगा इसके लिए सर?
Deleteक्या करना होगा इसके लिए सर?
Deleteबहुत ख़ूब ! क्या बात है आदरणीय आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है। लिखते रहिए
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 06 दिसम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमुझे स्वीकारने हेतु कोटि कोटि आभार मैम
Deleteप्रणाम
मुझे स्वीकारने हेतु कोटि कोटि आभार मैम
Deleteप्रणाम
स्नेहिल एवं प्रेरक प्रतिक्रियाओं के लिए आभार
ReplyDeleteस्नेहिल एवं प्रेरक प्रतिक्रियाओं के लिए आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर ग़ज़ल...!!
ReplyDeleteधन्यवाद मैम
Deleteबहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल। वाह-वाह !
ReplyDeleteस्नेहिल एवं उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार
Deleteबहुत ही सुन्दर गजल.....
ReplyDeleteवाह!!!
हृदय तल से आभार
DeleteBahut sunder rachna
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteसुन्दर!!!
ReplyDeleteआभार सर
Deleteकहते थे' दिखावा जिन्हें मेरी गली के लोग
ReplyDeleteमेरे उसूल ही मेरी पहचान बन गए।
सभी शेर अलग पहचान लिए हैं ! सुंदर गजल। बधाई।
बहुत बहुत आभार
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