ईद उल अज़हा के मुबारक़ मौके पर एक गैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल आप सभी हज़रात की ख़िदमत में। बहर-2212 1222 2121 22 *** मेरे वतन की तो है हर बात ही निराली है ईद भी यहाँ पर और है यहीं दीवाली। नवरात्र और रोज़े यहाँ साथ साथ होते मल्हार साथ गाते हो साथ में कब्बाली। हर जाति धर्म के हैं मिल जुल के लोग रहते हर काम मिल के करते कोई नहीं सवाली। पकवान साथ बनते हों खीर या सिवइयां सोणा यहाँ का हलवा रोटी यहाँ रुमाली। आतंक का कोई भी नहीं जाति धर्म होता कुछ भी अलग नहीं है गुंडा कहो मवाली। कोई बात हो अगर तो दोषी हैं सब बराबर इक हाथ से कभी भी बजती नहीं है ताली। घड़ियाल मन्दिरों में मस्ज़िद अज़ान भी है गीता पुकारती हैं गालियाँ क़ुरान वाली। **** डॉ.राजीव जोशी प्रवक्ता, डायट बागेश्वर,उत्तराखंड।
Posts
Showing posts from August, 2018