**फिज़ूल ग़ज़ल** ******* आइना झूठ सही, मन तो गवाही देगा दिल पे रख हाथ जरा, सच ही सुनाई देगा। ख़ाक हो जाएंगे वो गौहरे ताबाँ इक दिन वक़्त के हाथ मुक़द्दर जो कलाई देगा। उनके कानों में सियासत की ख़नक बसती है अब कहाँ शोर गरीबों का सुनाई देगा। फ़र्ज़ की राह में लालच से जो बच जाएंगे रब उन्हें प्यार से तौफ़ीके कमाई देगा। अब न 'राजीव' से कहना कि ये क्या लिखते हो हो जिधर दर्द उधर घाव दिखाई देगा। **** काफ़िया- ई रदीफ़- देगा बह्र- 2122 1122 1122 22 **?**??*** डॉ. राजीव जोशी बागेश्वर।
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