फ़िज़ूल ग़ज़ल
****कुछ खबर नहीं
कब आ गए वो ज़िन्दगी में कुछ खबर नहीं
हटती नहीं है उनसे तो इक पल नज़र नहीं।
पूछो तो वो इंकार ही करते रहे सदा
फिर देखते हैं क्यों वो महब्बत अगर नहीं।
अंदाज़ हो गया है भटकते हुए मुझे
तेरे बगैर दिल का कहीं कुछ बशर नहीं।
तेरे हवाले है ये सफर अब मेरे सनम
कश्ती को मेरी ले के जा जहाँ भँवर नहीं।
तेरे बिना मेरा भी' तो' कुछ हाल यूँ हुआ
पैरों पे' खड़ा धड़ है मगर जैसे' सर नहीं।
*†***
डॉ.राजीव जोशी
बागेश्वर।
****कुछ खबर नहीं
कब आ गए वो ज़िन्दगी में कुछ खबर नहीं
हटती नहीं है उनसे तो इक पल नज़र नहीं।
पूछो तो वो इंकार ही करते रहे सदा
फिर देखते हैं क्यों वो महब्बत अगर नहीं।
अंदाज़ हो गया है भटकते हुए मुझे
तेरे बगैर दिल का कहीं कुछ बशर नहीं।
तेरे हवाले है ये सफर अब मेरे सनम
कश्ती को मेरी ले के जा जहाँ भँवर नहीं।
तेरे बिना मेरा भी' तो' कुछ हाल यूँ हुआ
पैरों पे' खड़ा धड़ है मगर जैसे' सर नहीं।
*†***
डॉ.राजीव जोशी
बागेश्वर।
बढ़िया।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteधन्यवाद सर
Deleteबहुत बढ़िया रोमानी ग़ज़ल --- बधाई आदरनीय राजीव जी --
ReplyDeleteबेहद उम्दा गज़ल .
ReplyDelete
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 7फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!