लघुकथा (आस्तिक-नास्तिक)
आस्तिक-नास्तिक प्रसिद्ध टी.वी. समाचार चैनल पर भगवान के अस्तित्व पर बहस चल रही थी। चैनल पर उपस्थित दो राजनैतिक दलों के नुमाइंदे एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश में कौवों की तरह चिल्ला रहे थे। सत्ताधारी दल का प्रतिनिधि भगवान के अस्तित्व को सिद्ध कर अपनी पार्टी को आस्तिक तथा सर्वश्रेष्ठ प्रमाणित करने का प्रयास कर रहा था तो विपक्षी दल का प्रतिनिधि भगवान के अस्तित्व को पुरजोर तरीके से नकारते हुए अपनी पार्टी के अलग सिद्धान्त, अलग मार्ग को प्रमाणित कर रहा था। चैनल का एंकर कभी एक दल की तरफ दिखाई देता तो अगले ही पल दूसरे प्रतिनिधि के पक्ष में खड़ा प्रतीत होता। ऐसा करके वह कभी धीमी पड़ रही बहस की आग में घी डालता तो कभी दोनो पक्षों को हाथापाई की स्थिति से बचाने की मुद्रा में आ जाता। टी.वी. चैनल की टी.आर.पी. का ग्राफ वांछनीय तरीके से उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा था जिसका अनुमान एंकर की चितवन और होंठों की मुस्कुराहट से सहज ही लगाया जा सकता था।। घण्टों चली बहस, अचानक इस 'ब्रेकिंग ...