***********ग़ज़ल
हमसे भी कुछ बात हमारी किया करो
सोच समझकर दुनियादारी किया करो।
जो भी तुममें स्वाभाविक है बोलो तो
बात नहीं तुम यूँ क़िरदारी किया करो।
हमें लूटना है तो लूटो जाँ ले लो
दिल लेकर मत पाकिटमारी किया करो।
सुना सियासत सीख चुके हो दिलवर तुम
वादे तुम भी अब अखबारी किया करो।
जो भी दिल में है कह दो मत रोओ माँ!
यूँ रोकर मत पलकें भारी किया करो।
हर इक बात पे इतना क्यों सोचा करते
दिल से भी कुछ रायशुमारी किया करो।
पंख लगा कर आसमान तक उड़ने दें
बच्चों पर मत चार दिवारी किया करो।
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काफ़िया-आरी
रदीफ़-किया करो
बहर-22 22 22 22 22 2
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डॉ.राजीव जोशी
फ़िज़ूल टाइम्स
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteप्रणाम
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'शनिवार' २० जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteआभार सर
Deleteउत्साह वर्धन हेतु धन्यवाद
वादे रूम भी ऐन अखबारी किया करो ...
ReplyDeleteबहुत लाजवाब शेर हैं ग़ज़ल के ... हालात पे टीका करते हुए ...
धन्यवाद सर
Deleteधन्यवाद सर
Deleteतेरा बाबा
ReplyDeleteबूढे बाबा का जब चश्मा टूटा
बोला बेटा कुछ धुंधला धुंधला है
तूं मेरा चश्मां बनवा दे,
मोबाइल में मशगूल
गर्दन मोड़े बिना में बोला
ठीक है बाबा कल बनवा दुंगा,
बेटा आज ही बनवा दे
देख सकूं हसीं दुनियां
ना रहूं कल तक शायद जिंदा,
जिद ना करो बाबा
आज थोड़ा काम है
वेसे भी बूढी आंखों से एक दिन में
अब क्या देख लोगे दुनिया,
आंखों में दो मोती चमके
लहजे में शहद मिला के
बाबा बोले बेठो बेटा
छोड़ो यह चश्मा वस्मा
बचपन का इक किस्सा सुनलो
उस दिन तेरी साईकल टूटी थी
शायद तेरी स्कूल की छुट्टी थी
तूं चीखा था चिल्लाया था
घर में तूफान मचाया था
में थका हारा काम से आया था
तूं तुतला कर बोला था
बाबा मेरी गाड़ी टूट गई
अभी दूसरी ला दो
या फिर इसको ही चला दो
मेने कहा था बेटा कल ला दुंगा
तेरी आंखों में आंसू थे
तूने जिद पकड़ ली थी
तेरी जिद के आगे में हार गया था
उसी वक्त में बाजार गया था
उस दिन जो कुछ कमाया था
उसी से तेरी साईकल ले आया था
तेरा बाबा था ना
तेरी आंखों में आंसू केसे सहता
उछल कूद को देखकर
में अपनी थकान भूल गया था
तूं जितना खुश था उस दिन
में भी उतना खुश था
आखिर "तेरा बाबा था ना"
https://deshwali.blogspot.com/
सुंदर सर आभार
Delete
ReplyDeleteपंख लगा कर आसमान तक उड़ने दें
बच्चों पर मत चार दिवारी किया करो।
बहुत ही बढ़िया शेरो से सजी रचना आदरणीय राजीव जी | सादर शुभ्ह कामना
आभार मैम
Deleteस्नेहाशीष बनाए रखें
बहुत ही सुन्दर....
ReplyDeleteवाह!!!