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लघु कथा

*लघु कथा-*                         *गंध* **************************       किचन में प्याज काटते हुए माँ को बेटे और बहू की आवाज साफ साफ सुनाई दे रही थी, "सुनो जी इस बार लॉकडाउन क्या हुआ घर का तो बज़ट ही गड़बड़ा गया। मां जी दिन भर किचन में कुछ न कुछ पकाती ही रहती हैं प्याज टमाटर रोज लाने पड़ रहे हैं उनसे कह दो ऐसे नहीं चलेगा, मैं कहूंगी तो कहेंगी बहू लड़ रही है तुम्हीं कह दो।" "सरिता! रहने दो क्या कहना है वैसे भी इस बार लॉक डाउन की वजह से काम वाली की छुट्टी रही तो उसका पेमेंट तो बच ही गया और सारा काम माँ ने ही तो संभाला!"।  "हाँ ये तो है, सुनो!  मैं क्या कहती हूँ, माँ जी सब करती तो हैं बर्तन भी कितनी सफाई से धोती हैं और कपड़े भी, क्यों न आगे से काम वाली की हमेशा के लिए छुट्टी कर दें?" "ठीक कह रही हो सरिता तुम! मैं भी यही सोच रहा था, कितने विचार मिलते हैं हमारे एक दूसरे से । मां जी से कह देंगे कि कोई कामवाली नहीं मिल रही है!! दोनों खिलखिला कर हँस पड़े।  मां ने बर्तन धोने के लिए नल खोल दिया पानी की तेज आवाज में भी दोनों की हँसी सुनाई दे रही थी। माँ के हाथ