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Showing posts from February, 2018
ग़ज़ल ********** आपके बिन दिल ये अब लगता नहीं शोख नज़रों से कोई बचता नहीं।1। आप जब से दिल के मेहमाँ हो गए और कोई अब मुझे जँचता नहीं।2। प्यार से जब तुम गले लग जाते हो जेठ में भी जिस्म ये जलता नहीं।3। सरज़मीन-ए- हिन्द की आवाज है सर यहाँ कट जाए पर झुकता नहीं।4। टूट जाए इक दफा विश्वास जो लाख कर लो कोशिशें जुड़ता नहीं ।5। सामने बैठा रहूँ, सुनता रहूँ आपकी बातों से जी भरता नहीं।6। ****** बह्र-2122  2122  212 काफ़िया-अता रदीफ़-नहीं **** डॉ0 राजीव जोशी बागेश्वर
होली गीत ***** रसिया बालम रसिया रे, रसिया बालम रसिया रे! रंग बसन्ती छाया है पुलकित उर हरषाया है कन्त भी मेरे पास नहीं मिलने की कोई आस नहीं व्याल विरह के डसिया रे!रसिया बालम रसिया रे. मारे सखियाँ पिचकारी लागे फागुन ज्यों आरी धड़कन दिल की बढ़ती है याद पिया को करती है फाड़े चोली, छतिया रे!  रसिया बालम रसिया रे.. सखियों के संग होली में बीते हँसी ठिठोली में सखियाँ हैं सब भरी भरी मैं विरहन बस डरी डरी दिन गुजरा है टोली में रात अमावस होली में काटूँ कैसे रतिया रे!रसिया बालम रसिया रे.. **** फ़िज़ूल टाइम्स FIJOOLTIMES.BLOGSPOT.COM ***** डॉ.राजीव जोशी बागेश्वर।
*******फ़िज़ूल ग़ज़ल बस यही इक सवाल है साहिब क्यों ये शरहद यूँ लाल है साहिब। कब तलक दिन गुजारें निन्दा में खून में अब उबाल है साहिब। फिर गए हो जुबाँ से तुम शायद बदली बदली सी चाल है साहिब। बात करते हो तुम पकौड़ों की दाल रोटी मुहाल है साहिब। रहनुमा गोस्त खा गये सारा शेष हड्डी पे खाल है साहिब। ****** **फ़िज़ूल टाइम्स FIJOOLTIMES.BLOGSPOT.COM ***** राजीव जोशी बागेश्वर।