ग़ज़ल (वक़्त आने पे तो हम खून बहा देते हैं)
*******ग़ज़ल****
वक़्त आने पे तो हम खून बहा देते हैं
सिर झुकाने से तो बेहतर है कटा देते हैं।
हम हैं भारत के निवासी, न दगा देते हैं
अपने आचार से ही खुद का पता देते हैं।
दुश्मनी भी बड़ी सिद्दत से निभाते हैं हम
हम महब्बत से महब्बत का सिला देते हैं।
हम महावीर की उस पूण्य धरा के हैं सुत
अपने भगवान को दिल चीर दिखा देते हैं।
'राम' का रूप दिखाते हैं सभी बच्चों में
उनकी मुस्कान से मस्ज़िद का पता देते हैं।
उनकी क्या बात करें हम वफ़ा की महफ़िल में
हमको जो देख के दीपक ही बुझा देते हैं।
किसकी आंखों में समंदर की सी गहराई है
कोई पूछे जो तो राजीव बता देते हैं।
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डॉ. राजीव जोशी,
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट),बागेश्वर उत्तराखण्ड।
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काफ़िया-आ
रदीफ़-देते हैं
बह्र-2122 1122 1122 22
वाह सुन्दर।
ReplyDeleteप्रणाम सर्
ReplyDeleteधन्यवाद
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 16 अगस्त 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद आभार
Deleteहम हैं भारत के निवासी, न दगा देते हैं
ReplyDeleteअपने आचार से ही खुद का पता देते हैं।
वाह!!!!
बहुत ही लाजवाब गजल एक से बढकर एक शेर...
मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteसुंदर रचनाएं हैं सभी