ग़ज़ल
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आपके बिन दिल ये अब लगता नहीं
शोख नज़रों से कोई बचता नहीं।1।

आप जब से दिल के मेहमाँ हो गए
और कोई अब मुझे जँचता नहीं।2।

प्यार से जब तुम गले लग जाते हो
जेठ में भी जिस्म ये जलता नहीं।3।

सरज़मीन-ए- हिन्द की आवाज है
सर यहाँ कट जाए पर झुकता नहीं।4।

टूट जाए इक दफा विश्वास जो
लाख कर लो कोशिशें जुड़ता नहीं ।5।

सामने बैठा रहूँ, सुनता रहूँ
आपकी बातों से जी भरता नहीं।6।
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बह्र-2122  2122  212
काफ़िया-अता
रदीफ़-नहीं
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डॉ0 राजीव जोशी
बागेश्वर

Comments

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय माड़भूषि रंगराज अयंगर जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य"

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  2. बहुत ख़ूब ...
    हर शेर कमाल है ग़ज़ल का ...

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  3. वाह...
    बहुत-बहुत खूब.....

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