होली गीत
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रसिया बालम रसिया रे, रसिया बालम रसिया रे!
रंग बसन्ती छाया है
पुलकित उर हरषाया है
कन्त भी मेरे पास नहीं
मिलने की कोई आस नहीं
व्याल विरह के डसिया रे!रसिया बालम रसिया रे.
मारे सखियाँ पिचकारी
लागे फागुन ज्यों आरी
धड़कन दिल की बढ़ती है
याद पिया को करती है
फाड़े चोली, छतिया रे! रसिया बालम रसिया रे..
सखियों के संग होली में
बीते हँसी ठिठोली में
सखियाँ हैं सब भरी भरी
मैं विरहन बस डरी डरी
दिन गुजरा है टोली में
रात अमावस होली में
काटूँ कैसे रतिया रे!रसिया बालम रसिया रे..
****
फ़िज़ूल टाइम्स
FIJOOLTIMES.BLOGSPOT.COM
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डॉ.राजीव जोशी
बागेश्वर।
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रसिया बालम रसिया रे, रसिया बालम रसिया रे!
रंग बसन्ती छाया है
पुलकित उर हरषाया है
कन्त भी मेरे पास नहीं
मिलने की कोई आस नहीं
व्याल विरह के डसिया रे!रसिया बालम रसिया रे.
मारे सखियाँ पिचकारी
लागे फागुन ज्यों आरी
धड़कन दिल की बढ़ती है
याद पिया को करती है
फाड़े चोली, छतिया रे! रसिया बालम रसिया रे..
सखियों के संग होली में
बीते हँसी ठिठोली में
सखियाँ हैं सब भरी भरी
मैं विरहन बस डरी डरी
दिन गुजरा है टोली में
रात अमावस होली में
काटूँ कैसे रतिया रे!रसिया बालम रसिया रे..
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डॉ.राजीव जोशी
बागेश्वर।
बहुत खूब राजीव जोशी जी. होली की इस गुझिया में आपने हुल्लड़, हुड्दंग, मस्ती, शरारत, गुस्ताखी और रोमांस, सब की मिठास भर दी.
ReplyDeleteप्रणाम गुरुदेव
Deleteआभार आपका
वाह!!बहुत खूब।
ReplyDeleteस्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार
Deletehttps://loktantrasanvad.blogspot.in/ पर स्थान देने के लिए धन्यवाद
Deleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु दिली आभार
वाह क्या बात है
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर होली गीत ...
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