होली गीत
*****
रसिया बालम रसिया रे, रसिया बालम रसिया रे!
रंग बसन्ती छाया है
पुलकित उर हरषाया है
कन्त भी मेरे पास नहीं
मिलने की कोई आस नहीं
व्याल विरह के डसिया रे!रसिया बालम रसिया रे.

मारे सखियाँ पिचकारी
लागे फागुन ज्यों आरी
धड़कन दिल की बढ़ती है
याद पिया को करती है
फाड़े चोली, छतिया रे!  रसिया बालम रसिया रे..

सखियों के संग होली में
बीते हँसी ठिठोली में
सखियाँ हैं सब भरी भरी
मैं विरहन बस डरी डरी
दिन गुजरा है टोली में
रात अमावस होली में
काटूँ कैसे रतिया रे!रसिया बालम रसिया रे..
****
फ़िज़ूल टाइम्स
FIJOOLTIMES.BLOGSPOT.COM
*****
डॉ.राजीव जोशी
बागेश्वर।

Comments

  1. बहुत खूब राजीव जोशी जी. होली की इस गुझिया में आपने हुल्लड़, हुड्दंग, मस्ती, शरारत, गुस्ताखी और रोमांस, सब की मिठास भर दी.

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रणाम गुरुदेव
      आभार आपका

      Delete
  2. वाह!!बहुत खूब।

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार

      Delete
    2. https://loktantrasanvad.blogspot.in/ पर स्थान देने के लिए धन्यवाद

      Delete
  3. धन्यवाद सर
    उत्साहवर्धन हेतु दिली आभार

    ReplyDelete
  4. वाह क्या बात है

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद

      Delete
  5. बहुत सुंदर होली गीत ...

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

सेफ्टी वॉल्व (कहानी/संस्मरण)

जय माँ भारती