"गंदी बातें" (कहानी)
*गंदी बातें* ************ गंदी बात का आकर्षण भी कुछ कम नहीं है। कहानी का शीर्षक यदि 'गंदी बातें' हो तो पाठक, कुछ कहानी अपने मन में भी गढ़ने लगता है जो कि स्वाभाविक प्रक्रिया है। इस कहानी का नायक एक परिपक्व व्यक्ति है जो, शिक्षा विभाग में राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित अधिकारी पद पर कार्यरत है। तेज दिमाग, चुस्त एवं फुर्तीले शरीर का यह नायक कब- कैसे मेरी कहानी का नायक बन बैठा यह भी अपने आप में एक कहानी है। ......खैर अरविंद दुबले पतले शरीर पर एक पेंट तथा ऊपर से पेंट के बाहर निकली लगभग बत्तीस इंच साइज की कमीज धारण कर दो-तीन दिन की बासी दाढ़ी को खुजलाते हुए जैसे ही मेरी केबिन में पहुंचा तो, कुछ देर दरवाजे पर खड़े होकर इधर-उधर देखते हुए बोला, 'अरे क्या कर रहे हो?' 'कुछ नहीं बस कुछ फाइल निपटा रहा था' । आप बताओ, मैंने कहा। 'अरे कुछ नहीं एक-दो कव्वों को टाँगकर आ रहा हूं।' अरविंद ने मुंह को पूरा गोल खोलते हुए कहा। 'चलो यार चाय पीते हैं ब...