ग़ज़ल

 #ग़ज़ल

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बच्चे प्यारे फूल कमल के

छू लेंगे आकाश उछल के


तोड़ रहे जो पत्थर पथ पर

सपने उनके नहीं महल के


हाथ खुरदुरे पैर दरारी

पेट, पीठ पर चिपका जल के।


केवल ज्वाला अग्नि नहीं है

कई रूप हैं एक अनल के।


उन नन्हीं/बूढ़ी आँखों में झांको

ख़्वाब भरे हैं जिनमें कल के।


इश्क़ की राहों में कांटे हैं

चलना थोड़ा संभल संभल के।


तेरी यादों का मीठापन

रखता हूँ अश्क़ों में तल के।


कार्य असंभव तुम्हें भूलना

रोता है दिल मचल मचल के।


नाम शमाँ है जिस मंज़िल का

पाता है परवाना जल के।

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डॉ. राजीव जोशी

बागेश्वर।

Comments

  1. बहुत सुंदर सृजन।

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  2. बहुत ही सुंदर

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  3. बहुत खूबसूरत रचना

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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