ग़ज़ल (बच्चे प्यारे फूल कमल के)
#ग़ज़ल
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बच्चे प्यारे फूल कमल के
छू लेंगे आकाश उछल के
तोड़ रहे जो पत्थर पथ पर
सपने उनके नहीं महल के
हाथ खुरदुरे पैर दरारी
पेट, पीठ पर चिपका जल के।
केवल ज्वाला अग्नि नहीं है
कई रूप हैं एक अनल के।
उन नन्हीं/बूढ़ी आँखों में झांको
ख़्वाब भरे हैं जिनमें कल के।
इश्क़ की राहों में कांटे हैं
चलना थोड़ा संभल संभल के।
तेरी यादों का मीठापन
रखता हूँ अश्क़ों में तल के।
कार्य असंभव तुम्हें भूलना
रोता है दिल मचल मचल के।
नाम शमाँ है जिस मंज़िल का
पाता है परवाना जल के।
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डॉ. राजीव जोशी
बागेश्वर।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 26 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteसादर।
तोड़ रहे जो पत्थर पथ पर
ReplyDeleteसपने उनके नहीं महल के
दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ
अत्यंत सुंदर रचना
बहुत सुंदर और सार्थक रचना।
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