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लघुकथा - "धुएँ का छल "

                                    लघुकथा (धुएं का छल) ***********************************************     कमल वर्मा एक आदर्श पति और जिम्मेदार पिता था, कम से कम घर में उसकी यही छवि थी। लेकिन बाहर की दुनिया में वह सिगरेट का ऐसा शौकीन था कि बिना कश लिए उसकी रगों में बेचैनी दौड़ने लगती। घर में उसने खुद पर यह नियम थोप रखा था कि परिवार के सामने धूम्रपान नहीं करेगा, पर आज छुट्टी के दिन ऑफिस न जाने के कारण उसकी तलब असहनीय हो गई।....उसने एक चाल चली। फोन उठाया और बनावटी गंभीरता से बोला, “अच्छा! क्या हुआ? कौन से हॉस्पिटल में है? हाँ, हाँ, मैं आ रहा हूँ!” फिर पत्नी की ओर मुड़ा, “सुधीर को पेट दर्द के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, मैं देख आऊँ।” यह कहकर वह जैकेट पहनकर घर से निकल पड़ा। ....रात की ठंडी हवा चेहरे पर लगी तो हल्का सुकून महसूस हुआ, लेकिन दिमाग में बस एक ही सवाल गूंज रहा था—सिगरेट कहाँ मिलेगी? उसने कैंट, मालरोड और लाला बाजार की हर गली छान मारी, पर सब दुकानें बंद! गलियों में केवल ठंड से ...